लछमा, हाँ यही नाम है इस छोटी सी बेटी का l शहर के कोलाहल से दूर बिहार का एक छोटा सा गाँव, और इसी गाँव के रहने वाले एक गरीब परिवार की बेटी, पिता और माँ दोनों सुबह से ही खेत पर मजदूरी करने चले जाते और घर पर रह गए छोटे-छोटे दो भाईयों का ध्यान रखने की जिम्मेदारी उठाती लछमा l
सुबह
होती, माँ की आवाज आती चल उठ बिट्टो, सूरज निकल आया, उस पर अलसाई, उनींदी सी लछमा
का जबाब माँ थोड़ी देर रुक जा ना, नीद आ रही है, माँ कहती बेटी तू सोती रहेगी तो
हमें भी काम पर जाने को देर हो जाएगी और तब नन्ही से लछमा मान मारकर उठ जाती,
देखती बगल में सो रहे दोनों छोटे भाईयों को और मन ही मन सोचती कितना अच्छा होता
यदि मैं भी.... l
माँ बाप के काम पर जाने के बाद लछमा घर का कामकाज निपटाती,
भाईयों को कलेवा देती और फिर उन्हें लेकर गाँव की छोटी सी नदी पर चल देती नहाने और
कपड़े धोने l
रास्ते
में देखती बच्चे स्कूल का बस्ता लिए स्कूल चले जा रहे है, मन तो बहुत करता कि मैं भी
उनकी तरह स्कूल जाऊँ पर फिर यह सोचती की काम ? रास्ते में चलते चलते सामने से आ
रहे मुखिया जो को नमस्कार करते बोली – नमस्ते मुखिया ताऊँ l
अरे लछमा कैसी है रीतू,
कहा चलो जा रही है l ताऊ नदी जा रही थी, भाईयों को लेकर माँ बाप तो खेत गए है l मुखिया
बोले, ये गंगाराम भी पागल है, इसकी इतनी बार कहा कि लड़की को घर गृहस्थी से फुरसत
कर, स्कूल भेज पर इसकी अकल में कुछ घुसता ही नहीं, सुन बेटी, मैं तेरे बापू से बात
करुगाँ तू भी स्कूल जा l ठीक है ताऊ कहते हुए लछमा नदी की और चल दी l
दूसरे
दिन मुखिया ने गंगाराम को समझाया देख गंगा, लड़की की ज़िन्दगी सवांरनी है तो उसको
पड़ा लिखा स्कूल भेज, कुछ समझता भी है, अरे लड़की लिख पड़ लेगी तो समझदार हो जाएगी और
ज्ञान कभी खाली नहीं जाता l गंगाराम बोला वो तो ठीक है मुखिया, पर घर चलाना तो मुशिकल
है मुखिया जी l मुखिया जी ने कहा – अरे पागल अब तो सब सरकार खर्चा उठा रही है बेटियाँ
को लिखने पड़ाने का और तो और स्कूल में बच्चों को दिन में खाना भी मिलता है l कुल
जमा गंगाराम के दिमाग में बात समझ आ गई l
अगली
सुबह, लछमा जल्दी उठ गई क्योंकि रात को ही माँ वे बताया था कि सुबह से तू और तेरे
भाई स्कूल जाएगें l सुनकर खुशी से झूम गई थी लछमा ओर सुबह के इंतजार में जाने कब
तक करवटे बदलती रही थी, और अब स्कूल जाने की खुशी में झटपट तैयार हो गई l भाइयों
को साथ लिया और चल दी स्कूल l
समय
निकलता रहा, और लछमा मन लगाकर पढ़ाई करती रही l स्कूल के मास्टरजी गंगाराम से कहते
गंगा भैया, बहुत होनहार बेटी है, देखना एक दिन ये होश नाम रोशन करेगी l
आज
12वी का रिजल्ट निकलने वाला था धडकते दिल से लछमा स्कूल पहुची, मास्टरजी दरवाजे पर
ही खड़े थे लछमा को देखकर खुशी से चहक उठे देखो वो आ गई लछमा l चहके भी क्यूँ नहीं
आखिर लछमा ने पूरे जिले में पहला स्थान प्राप्त किया था l सारे गाँव में लछमा
चर्चा का विषय बन गई थी, अभावों में पली, मजदूर परिवार की बेटी जिसे माँ बाप भार
समझते थे आज उनका नाम रोशन कर रही थी l तभी प्रधानाचार्य महोदय, गाँव के सरपंच व
मुखिया के साथ स्कूल में आए, और सभी बच्चों और माता पिता की उपस्थिति में लछमा को
पुरस्कार और प्रमाण पत्र प्रदान किया l
मुखिया
ने कहा, देरवा गंगाराम, तू तो कहता था कि कैसे पड़ाऊंगा लिखाऊंगा बिटिया को, और आज
वही बेटी तेरा सर गर्व से ऊंचा किए है l कभी भी बेटियों को बोझ मत समझना यदि
उन्हें सही दिशा दिखा दी जाए तो ये ही बनेगी हमारे समाज और जीवन का आधार l
(राजेन्द्र
श्रीवास्तव)
तकनीशियन