वेब साईट निर्माण कैसे करे

वेबहोस्टिंग क्या होती है

वेब साईट निर्माण कैसे करे



वेबहोस्टिंग (Web hosting) एक इन्टरनेट पर प्रदान की जाने वाली एक सर्विस  होती है जो की किसी भी संसथान या व्यक्तिगत वेबसाइट या वेब पेज को इंटरनेट पर जगह प्रदान करती है . दोस्तों हमने कई बार टीवी पर गो डैडी, येल्लोहोस्ट, ब्लुहोस्ट आदि विज्ञापन देखे हैं ये सभी वेबहोस्टिंग प्रदाय करने वाली कम्पनीयां हैं .  जब भी आप कोई वेबसाइट  बनाते है तो उसको पूरी दुनिया मे सभी लोगो तक पहुंचाने के लिए या उसकी access देने के लिए वेबसाइट को किसी कंप्यूटर सर्वर  पर  संग्रह करना (store) होता हैं वः सर्वर  इंटरनेट से जुड़ा (connect) होता है इसको वेबहोस्टिंग कहते है |


इन्टरनेट जिसको की आमबोलचाल मे नेट  भी कहा जाता है अनगिनत एवं आपस मे जुड़े हुए कंप्यूटर नेटवर्किंग का समूह है जिसकी मदद  से आप एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर पर सभी तरह की सूचनाओं को आदान प्रदान कर सकते है | सभी कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़ने (connect) के लिए बहुत सारे संस्थान एक व्यवस्थित तरीके से (managed way) TCP/IP एवं अन्य तकनीक की सहायता से सर्वर, स्विच, राऊटर, नेट केबल, फाइबर केबल आदि से इंटरनेट को वैश्विक रूप से कनेक्ट करतें है |

एक वेब होस्ट या वेब होस्टिंग सेवा प्रदाता वेबहोस्टिंग टेक्नोलॉजी एवं सर्विस प्रदान करता है जिससे की वेबसाइट या वेब पेज को इंटरनेट पर देखा (view/access) जा सके |


परन्तु कभी आपने यह सोचा हैं कि वेब साईट का नाम एवं वेब साईट के URL में अंतर क्यों होता है. वेब का URL एक डोमेन नेम होता है जो की एक शार्ट फॉर्म में डॉट के साथ होता है



डॉमेन नाम सिस्टम को शार्ट मे DNS भी कहा जाता है | DNS इंटरनेट डोमेन और होस्ट नाम को IP address मे एवं  IP address को होस्ट नाम मे तब्दील करने का काम करता है | जब भी हम कंप्यूटर  के ब्राउज़र मे किसी वेबसाइट  का नाम टाइप  करते है तो वो वेबसाइट  उसके IP address मे convert हो जाता है | डोमेन नाम आईपी मे बदल जाता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है की ये क्यों होता है | ऐसा इसलिए होता है क्योकि कोई भी कंप्यूटर जब भी नेटवर्क मे होता है तो वो IP address को समझता है न की किसी होस्ट  नाम को |

IP address 192.168.2.68 या इसी प्रकार कुछ भी हो सकता है जिन्हें पुब्लिक को याद रखना कठिन होता है इसलिए किसी भी वेबसाइट  का नाम alphabets मे रखा जाता है क्योकि वो हमारे लिए सरल  होता है एवं हम नाम  को सरलता से  याद रख सकते है |

जरा सोचिये की अगर होस्ट नाम न हो केवल IP Address याद रखने हो या फिर अगर IP address से website को देखना (access) हो तो क्या हमारे लिए IP address याद रखना possible हो पायेगा – नहीं |

DNS एक एक एसी सर्विस  होती है जो की डोमेन नेम (वेबसाइट का नाम) को IP address मे एवं  IP address को डोमेन नेम (website) मे बदलती है  |

यहाँ पर जैसे बताया गया है की domain name किसी website के name को कहते है जैसे की दूरदर्शन केंद्र भोपाल की वेबसाइट  नाम है – http://www.ddbhopal.nic.in/ तो यह domain name है | परन्तु वेब साईट का नाम दूरदर्शन केंद्र भोपाल है एवं IP एड्रेस 164.100.178.14 हैं. यदि हम कंप्यूटर  के ब्राउज़र में यह IP डाले तब भी हमरी वेबसाइट ओपन हो जाएगी .



वेब साईट होस्टिंग के लिए आवश्यक घटक –

कोई वेबसाइट तैयार करके उसे इंटरनेट पर सबके उपयोग के लिये डालने की एक लम्बी प्रक्रिया होती है, जो किसी पुस्तक के प्रकाशन की तरह कई चरणो मे पूरी की जाती है। इस पूरी प्रक्रिया को हम वेब साईट निर्माण, होस्टिंग एवं वेब पब्लिशिंग कह सकते हैं . जो निम्न चरणों में पूरी की जाती है.

1.  डोमेन नाम का रजिस्ट्रेशन करना।
2.  वेबसाइट डिजाइन और विकास।
3.  वेब होस्टिंग
4.  प्रचार या प्रमोशन।
5.  रखरखाव।

1.   डोमेन नेम रजिस्ट्रेशन- किसी वेबसाइट का डोमेन नाम उसका ऐसा नाम या पता है जिससे इंटरनेट के उपयोगकर्ता द्वारा उसको पहचाना और देखा जाता है। वेब प्रकाशन का पहला चरण उस वेबसाइट के लिये कोई डोमेन नाम तय करना और किसी डोमेन नेम सर्वर पर उस डोमेन नाम को पंजीकृत करना होता है। सर्वप्रथम हम डोमेन नेम का चयन कर उसकी उपलब्धता की जाचं डोमेन नेम पंजीयक के वेबसाइट (सर्वर ) पर करते है उपलब्ध होने पर उस डोमेन नाम को पंजीकृत करना होता है।

विभिन्न देशो के डोमेन नाम रजिस्टर करने वाले अनेक संगठन और वेबसाइट है। आप उनमे से किसी भी निर्धारित शुल्क देकर अपना डोमेन नाम पंजीकृत करा सकते है। उदाहरण के लिये भारत मे Yellowhost.in, GoDaddy.com, Candidinfo.com, Sify.com, Dotster.com, Register.com आदि अनेक वेबसाइटे यह कार्य करती है। उनका शुल्क अलग अलग होता है। डोमेन नाम पंजीकरण सामान्यतः एक साल के लिये किया जाता है। यह अवधि समाप्त होने से पहले ही आप फिर शुल्क देकर पंजीकरण बढा सकते है। वैसे आप एक साथ कई साल का शुल्क जमा करके भी अपना डोमेन नाम कई वर्ष के लिये पंजीकृत करा सकते है।

2.   वेबसाइट डिजाइन और विकास- कोई वेबसाइट किसी विशेष विषय पर सूचनाओ का एक संग्रह होती है। किसी वेबसाइट को डिजाइन करने से हमारा तात्पर्य उसके वेब पेजो का निर्माण और उन्हे किसी विशेष रूप मे व्यवस्थित करना होता है। विभिन्न वेब पेजो से मिलकर ही कोई वेबसाइट बनती है। किसी वेब पेजे मे उन मे उन सूचनाओ कोई भाग होता है जिनके लिये वेबसाइट को बनाया गया है। इस प्रकार आप किसी वेबसाइट को एक पुस्तक के रूप मे देख सकते है, जिसके प्रत्येक पृष्ठ को एक वेब पेज  माना जा सकता है। वेबसाइट डिजाइन और विकास के लिए कंप्यूटर भाषाओँ का उपयोग किया जाता है. जिसे सामान्य भाषा में  coding कहते हैं , अधिकांश  HTML, PHP, JAVA आदि का उपयोग किया जाता है.  

3.   वेब होस्टिंग-  यह वेब पब्लिशिंग का सबसे महत्वपूर्ण भाग होता  है। यह अपने कार्यालय, मकान या  दुकान के लिये केाई जगह किराये पर लेने के समान है। जब आप अपनी वेबसाइट के डोमेन नाम का पंजीकरण करा लेते है और उसको डिजाइन कर लेते है, तो उसको किसी वेब सर्वर पर स्टोर करने की प्रक्रिया को  ही वेब होस्टिंग कहा जाता है। यह कार्य किसी अच्छे वेब सर्वर पर ही किया जाता है, क्योंकि वे आपकी वेबसाइट को 24 घंटे सक्रिय रखते है और उसका उपयोग इंटरनेट पर सभी को उपलब्ध कराते है।

4.   प्रचार या प्रमोशन- जैसे किसी पुस्तक के प्रकाशन के बाद उसका प्रचार प्रसार आबश्यक होता हैं उसी प्रकार  किसी वेबसाइट का प्रचार प्रसार भी आबश्यक है . अधिकतर उपयोग कर्ता सर्च इंजनो (जैसे गूगल, याहू, बिंग आदि ) का इस्तमाल करते है. इसलिए साइट को सर्च इंजनो साथ जोडना अत्यंत आबश्यक होता है. ।

5.   रखरखाव- किसी वेबसाइट की सफलता के लिये यह आवश्यक है कि उसमे नवीनता और रोचकता रहे ताकि उसके आगंतुक उसमे आते रहे। इसके लिये आपको अपनी वेबसाइट निरन्तर सुधारने एवं नवीनजानकारियों का समावेश एवं नई तकनीक का उपयोग आबश्यक होता है. 

मनोज कुमार दुबे
अभियांत्रकी सहायक
दूरदर्शन केंद्र भोपाल