दूरदर्शन की यात्रा

दूरदर्शन की यात्रा  


भारत में  'दूरदर्शन' की स्‍थापना एक परीक्षण के तौर पर दिल्ली में 15 सितंबर 1959 को हुई थी. भारत में टेलीविजन के इतिहास की कहानी दूरदर्शन के इतिहास से ही शुरू होती है. आज भी दूरदर्शन का नाम सुनते ही अतीत की कई गुदगुदाती बातें याद आ जाती हैं. भले ही आज टीवी चैनल्स पर कार्यक्रमों की बाढ़ आ गई हो लेकिन दूरदर्शन की पहुंच को टक्कर दे पाना अभी भी किसी के बस की बात नहीं है . 

आइये जाने दूरदर्शन की यात्रा से जुड़े कुछ खास बिन्दु :

जब दूरदर्शन की प्रारम्भ 15 सितंबर 1959 को  हुआ , उस समय का प्रसारण हफ्ते में सिर्फ तीन दिन आधा-आधा घंटे होता था. पहले इसका नाम ‘टेलीविजन इंडिया’ दिया गया था बाद में 1975 में इसका हिन्दी नामकरण ‘दूरदर्शन’ नाम से किया गया.

शुरुआती दिनों में दिल्ली भर में 18 टेलीविजन सेट लगे थे और एक बड़ा ट्रांसमीटर लगा था। तब दिल्ली में लोग इसको कुतुहल और आश्चर्य के साथ देखते थे। 

दूरदर्शन 1975 तक यह सिर्फ भारत के 7 शहरों तक ही सीमित था. दूरदर्शन का प्रसारण  दिल्‍ली (9 अगस्‍त 1984), मुम्‍बई (1 मई 1985), चेन्‍नई (19 नवम्‍बर 1987), कोलकात्ता (1 जुलाई 1988) में प्रारम्भ हुआ . प्रारम्भ में तो यह इन शहरों के  आसपास के कुछ क्षेत्रों में ही देखा जाता था। 

यूनेस्को ने भारत को दूरदर्शन शुरू करने के लिए 20,000 डॉलर और 180 फिलिप्स टीवी सेट दिए थे. साल 1965 में ऑल इंडिया रेडियो के हिस्से के रूप में नियमित ट्रांसमिशन शुरू हुआ,.

दूरदर्शन पर रोजाना प्रसारण का प्रारंभ 15 अगस्त 1965 में हुआ. 5 मिनट न्यूज बुलेटिन भी इसी साल से शुरू हुआ था .

1966 में कृषि दर्शन कार्यक्रम के जरिए दूरदर्शन देश में हरित क्रांति लाने का सूत्रधार बना. कृषि दर्शन सबसे लंबा चलने वाला दूरदर्शन का कार्यक्रम है.

साभार - गूगल
दूरदर्शन को देश भर के शहरों में पहुँचाने की शुरुआत 80 के दशक में हुई और इसकी वजह थी 1982 में दिल्ली में आयोजित किए जाने वाले एशियाई खेल थे। एशियाई खेलों के दिल्ली में होने का एक लाभ यह भी मिला कि श्वेत और श्याम दिखने वाला दूरदर्शन रंगीन हो गया था। 

1986 में शुरू हुए 'रामायण' और इसके बाद शुरू हुए 'महाभारत' के प्रसारण के दौरान हर रविवार को सुबह देश भर की सड़कों पर कर्फ्यू जैसा सन्नाटा फ़ैल जाता था और लोग सड़कों पर अपनी यात्रा 'रामायण' और 'महाभारत' के प्रसारण के दौरान नहीं करते थे.

दूरदर्शन की विकास यात्रा प्रारंभ में काफी धीमी रही लेकिन 1982 में रंगीन टेलीविजन आने के बाद लोगों का रूझान इस ओर ज्यादा बढ़ा. इसके बाद एशियाई खेलों के प्रसारण ने इस दिशा में क्रांति ही ला दी.



3 नवंबर 2003 में दूरदर्शन का 24 घंटे चलने वाला समाचार चैनल शुरू हुआ.

1984 में देश के गाँव-गाँव में दूरदर्शन पहुँचाने के लिए देश में लगभग हर दिन एक ट्रांसमीटर लगाया गया।

20 अक्टूबर 1992 . दूरदर्शन केन्द्र भोपाल की शुरूआत

26 जनवरी 1993: मेट्रो चैनल शुरू करने के लिए एक दूसरे चैनल की नेटवर्किंग

14 मार्च 1995: अंतर्राष्‍ट्रीय चैनल डीडी इंडिया की शुरूआत

23 नवम्‍बर 1997 : प्रसार भारती का गठन (भारतीय प्रसारण निगम)

18 मार्च 1999: खेल चैनल डीडी स्‍पोर्ट्स की शुरूआत

26 जनवरी 2002: संवर्धन/सांस्‍कृतिक चैनल की शुरूआत

3 नवम्‍बर 2002 : 24 घण्‍टे के समाचार चैनल डीडी न्‍यूज की शुरूआत

6 दिसम्‍बर 2004 : निशुल्‍क डीटीएच सेवा डीडी डाइरेक्‍ट की शुरूआत


संकलन
मनोज कुमार दुबे
अभियांत्रकी सहायक
दूरदर्शन केंद्र भोपाल