ईश्वर की असीम कृपा है
कि मनुष्य योनि में
बड़े से बड़े बुद्धिजीवी
विद्वानों को भूलोक में भेजा गया
उन्होंने पीड़ा सही और
अपना कर्म कर्तव्य
कार्य विधि विधान चल अचल
नियम अटल नियम प्रकृति
उन्ही नियम अनुसार मानव जीवन एवं पशु पक्षी
विश्व ब्रम्हांड शक्ति द्वारा संचालित हो रही है
अच्छी तरह समझने में नाम
और नामी यह दोनों समान है
जैसे स्वामी सेवक की
भांति इनकी प्रीति भी परस्पर है
नाम और रूप यह दोनों
ईश्वर की उपाधि है
ईश्वर के नाम और रूप
अकथनीय और अनादि है
इन को वही समझ सकते हैं
जिन्होंने बड़ी-बड़ी साधना की है
नाम और रूप किसे बड़ा और
किसे छोटा कहें
शुद्ध आत्मा गुणी ज्ञानी
स्वयं ही इनका भेद समझ लेते हैं
रूप नाम के अधीन है
क्योंकि बिना नाम लिए रूप का ज्ञान नहीं होता
हाथ पर रखी हुई वस्तु भी
उनका नाम जाने बिना केवल
रूप देखने से नहीं पहचानी जाती है
बिना रूप देखें भी नाम
का स्मरण हो सकता है
और इससे ही विशेषता हृदय में आ जाती है
नाम और रूप की कथा
अकथनीय है
समझने में सुखदाई है
परंतु वर्णन करने में नहीं आती
नियम निर्गुण और सगुण इन
दोनों रूपों के बीच
नाम ही श्रेष्ठ साक्षी
है
यह दोनों हाथों प्रबोधक चतुर दुभाशिया है
बलीराम धुर्वे सहायक