माना हालात प्रतिकूल हैं,
रास्तों पर बिछे शूल हैं
रिश्तों पे जम गई धूल है
पर तू खुद अपना अवरोध न
बन
तू उठ…… खुद अपनी राह बना………………………..
पर रात अभी हुई नहीं,
यह तो प्रभात की
बेला है
तेरे संग है उम्मीदें,
किसने कहा तू
अकेला है
तू खुद अपना विहान बन,
तू खुद अपना विधान
बन………………………..
सत्य की जीत हीं तेरा
लक्ष्य हो
अपने मन का धीरज,
तू कभी न खो
रण छोड़ने वाले होते हैं
कायर
तू तो परमवीर है,
तू युद्ध कर –
तू युद्ध कर………………………..
इस युद्ध भूमि पर,
तू अपनी विजयगाथा
लिख
जीतकर के ये जंग,
तू बन जा वीर अमिट
तू खुद सर्व समर्थ है,
वीरता से जीने का
हीं कुछ अर्थ है
तू युद्ध कर – बस युद्ध कर………………………..
आदेश सिंह चौहान