एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम

आजकल जब भी कोई भी टेक्नोलॉजी की बात करता है तो एंड्रायड का ज़िकर जरूर होता है आखिर क्या है एंड्रायड और यह कैसे काम करता है, आइए थोड़ा करीब से जाने एंड्रायड क्या है । 

एंड्रॉयड एक ऑपरेटिंग सिस्टम है बिलकुल वैसे ही जैसे आपके कंप्यूटर या लैपटॉप में विंडोज या लाइनक्स होता है । एंड्रॉयड लाइनक्स कर्नेल पर ही आधारित है और यह गूगल के द्वारा नियंत्रित है । सबसे पहले एंड्रॉयड ओपेरटिंग सिस्टम को टच स्क्रीन मोबाइल इत्यादि के लिये बनाया गया था लेकिन अब तो इसे एंड्रॉयड टीवी, एंड्रॉयड घड़ियों या गाड़ियों में भी प्रयोग किया जाता है, सिर्फ इतना ही नहीं इसको कंसोल गेम्स, डिजिटल कैमरा और अब तो कम्प्यूटर्स में भी प्रयोग किया जाता है । 

Android क्या है यह शायद आपको पूछने की जरूरत नहीं भारत में आज घर घर में Android फोन उपलब्ध है Android ने बहुत ही कम समय में खुद को बेहतर बना कर पूरी दुनिया में एक बहुत ही महत्वपूर्ण मोबाइल प्लेटफार्म बना लिया है वैसे बहुतों को तो Android क्या होता है और इसके फायदे क्या है के बारे में पता तो होगा लेकिन ऐसे बहुत लोग हैं जो Android की दुनिया में बिल्कुल नए हैं जिन्हें इसके बारे में कोई भी जानकारी नहीं है ऐसे में यह आर्टिकल उन लोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद साबित होगा इसके साथ-साथ जिन्हें थोड़ा बहुत जानकारी भी है उन्हें भी कुछ नया सीखने को मिलेगा वैसे तो मैं अगर सच कहूं तो हम में से बहुत लोग स्मार्टफोंस का इस्तेमाल करते तो है लेकिन उन्हें यह पता नहीं है कि यह मोबाइल फोन Android है या windows है इसमें बुरा मानने वाली कोई बात नहीं है क्योंकि सब लोग अलग-अलग फील्ड में काम करते हैं और सभी लोगों को मोबाइल या कंप्यूटर के बारे में जानकारी नहीं होती इसलिए मैं ये जानकारी सब तक पहुंचाना चाहता हूँ उसी में उद्देश्य को नजर में रखते हुए आज मैं आप लोगों को एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है के बारे में जानकारी देने वाला हूं जिससे अगली बार कोई आपको Android फोन या Android से संबंधित कोई दूसरी जानकारी पूछे तो आप भी उसे उत्तर देने के काबिल हो सके क्योंकि मेरा यह मानना है कि यदि आपको कोई जानकारी पता नहीं है तो इसमें कोई गलत बात नहीं है लेकिन अगर आप कुछ नया जानना ही नहीं चाहते तो इसमें बहुत गलत बात है Android कोई फोन नहीं है और ना ही कोई एप्लीकेशन है यह एक ऑपरेटिंग सिस्टम है जो कि LINUX के ऊपर आधारित है अगर मैं इसे आसान भाषा में कहूं तो LINUX एक ऑपरेटिंग सिस्टम है जो कि सरवर और डेस्कटॉप कंप्यूटर में इस्तेमाल होता है तो Android बस एक वर्जन है LINUX का जिसे की बहुत सारे मॉडिफिकेशन के बाद बनाया गया है हां लेकिन यह रिलेटेड है 

Android एक ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसे की डिजाइन किया गया था मोबाइल को नजर में रखते हुए ताकि इसमें फोन की सारी फंक्शन और एप्लीकेशंस को आसानी से रन किया जा सके आप जो भी फोन के डिस्प्ले में देखते हैं वह सारे ऑपरेटिंग सिस्टम के हिस्से हैं जब भी आप कोइ call, massege, text या ईमेल पाते हैं तब आपकी OS उसे process करती है और आपके सामने readable format में पेश करती है Android OS को बहुत सारे वर्जन में डिवाइड कर दिया गया है जिन्हें अलग-अलग नंबर प्रदान किया गया है इनके फीचर्स ऑपरेशन स्टेबिलिटी के हिसाब से तो अगर आपने कभी ऐसा नाम सुना है जैसे कि एंड्रॉयड लॉलीपॉप मार्शमैलो और Noughat तब मैं आपको बता दूं कि यह सारे Android ऑपरेटिंग सिस्टम के ही अलग-अलग version के नाम है Android का इतिहास हालाँकि एंड्रॉयड शुरू से ही गूगल का प्रोडक्ट नही था, Android INC को 2003 में एंडी रुबिन, रिच मिनर, निक सेअर्स और क्रिस वाइट ने मिल के स्थापित किया था । 

 Android को गूगल ने सन 2005 में खरीद लिया और उसके बाद टीम लीडर एंडी रुबिन को Android डेवलपमेंट का मुख्य बना दिया गया गूगल ने एंड्रायड को इस लिए खरीदा क्योंकि उन्हें लगा कि Android एक बहुत ही इंटरेस्टिंग कांसेप्ट है जिसकी मदद से वह पावरफुल लेकिन फ्री की ऑपरेटिंग सिस्टम बना सकते हैं और जो कि बाद में सच भी साबित हुआ Android की मदद से गूगल को younger audience की अच्छी reach मिली और उसके साथ Android के बहुत ही अच्छे कर्मचारी भी Google में शामिल हुए मार्च 2013को एंडी रुबिन ने कंपनी छोड़ने का फैसला किया और अपने दूसरे प्रोजेक्ट में काम करने का सोचा लेकिन इसके बाद भी Android की स्थिति में कोई उतार चढ़ाव देखने को नहीं मिला और एंडी रुबिन के खाली स्थान को सुंदर पिचाई द्वारा पूर्ण कर दिया गया पिचाई जो कि भारत के रहने वाले हैं इससे पहले वह Chrome os के हेड हुआ करते थे और उन की एक्सरसाइज़ और एक्सपीरियंस को गूगल ने अच्छा इस्तेमाल किया इस नए प्रोजेक्ट में Android एक ऐसा बेहतरीन मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसे की गूगल द्वारा बनाया गया है देखा जाए तो Google द्वारा बनाई गई सॉफ्टवेयर को आज दुनिया में सभी मोबाइल फ़ोंस में इस्तेमाल किया जाता है केवल Apple iPhone को छोड़कर Android 1 LINUX बेस्ट सॉफ्टवेयर सिस्टम है जैसे कि LINUX एक ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर है और इसके साथ यह बिल्कुल फ्री भी है इसका मतलब यह है कि दूसरे मोबाइल कंपनी भी एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल कर सकते हैं इसमें जो एक खास है इस ब्रांड की kernel जो Android के सेंट्रल को होस्ट करता है जो कि essentially एक स्टेट कोड है और जोकि सॉफ्टवेयर को अपडेट होने में मदद करता है मेरे ख्याल से आप सभी लोग Android फोन का इस्तेमाल कर रहे होंगे या फिर टेबलेट्स का भी इस्तेमाल कर रहे होंगे जिसके के एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल होता है मैं आपको बता दूं कि Android का डेवलपमेंट गूगल और ओपन हैंड सेटेलाइट द्वारा किया गया था इसके बाद Android अपना नया वर्जन नवंबर 2007 से रिलीज करता चला रहा है एक खास इंटरेस्टिंग बात है कि Android वर्जन को एक खास कोड नेम दिया जाता है और यह अल्फाबेटिकल ऑर्डर में रिलीज किया जाता है यह काम सन 2009 अप्रैल से किया जा रहा है इसके अलग अलग नाम कुछ इस प्रकार हैं जैसे की आपको नाम देखकर यह पता चल गया होगा कि दुनिया भर के dessert के नाम पर रखा गया है

Android Voice की Evolution Android-Alfa से Oreo तक का सफर
Code name
Version number
Initial release date
1.0
September 23, 2008
(Internally known as "Petit Four")
1.1
February 9, 2009
Cupcake
1.5
April 27, 2009
Donut
1.6
September 15, 2009
Eclair
2.0 – 2.1
October 26, 2009
Froyo
2.2 – 2.2.3
May 20, 2010
Gingerbread
2.3 – 2.3.7
December 6, 2010
3.0 – 3.2.6
February 22, 2011
Ice Cream Sandwich
4.0 – 4.0.4
October 18, 2011
Jelly Bean
4.1 – 4.3.1
July 9, 2012
KitKat
4.4 – 4.4.4
October 31, 2013
Lollipop
5.0 – 5.1.1
November 12, 2014
Marshmallow
6.0 – 6.0.1
October 5, 2015
Nougat
7.0 – 7.1.2
August 22, 2016
Oreo
8.0
August 21, 2017

एंड्रॉयड अब मोबाइल को प्रयोग करने वालों की पहली पसंद बन चुका है, उसके बहुत सारे कारण हैं जिनमे से एक बहुत महत्त्पूर्ण कारण यह भी है की एंड्रॉयड के प्ले स्टोर पर बहुत सारी फ्री एप्प्स उपलब्ध हैं । 

एंड्रॉयड समय समय पर अपडेट भी होता रहता है और अब तो एंड्रॉयड में इतना कम्पटीशन हो गया है की हर कंपनी कम से कम मूल्य में मोबाइल उपलब्ध करवा रही है जिसका फायदा भी ग्राहक को मिल रहा है । 
बीतते वक्त के साथ स्मार्टफोन के हार्डवेयर की क्षमता धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है, पर इसकी पूरी क्षमता का इस्तेमाल तब तक नहीं हो सकता जब तक फोन में बेहतरीन सॉफ्टवेयर ना हो। पर्सनल टेक्नोलॉजी की यही कमी है, फास्ट यूजर एक्सपीरियंस के लिए हॉर्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच ऑप्टिमाइजेशन होना जरूरी है। इस तरह के ऑप्टिमाइजेशन का असर सबसे ज्यादा स्मार्टफोन यूजर्स को देखने को मिलता है, जो आज की तारीख में स्मार्टफोन के स्लो या हैंग होने से नाराज और परेशान रहते हैं।

 मोबाइल के स्लो होने पर ये करें 

 Android स्मार्टफोन्स के धीमे होने की कई वजहें होती हैं। शुरुआती कुछ महीनों में तो फोन ठीक-ठाक चलता है, पर धीरे-धीरे यह स्लो होने लगते है। इसका एहसास यूजर को होने भी लगता है। जो भी यूजर्स अपने Android स्मार्टफोन्स के स्लो होने से परेशान हैं, वो नीचे दिए गए टिप्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। 

1. थर्ड-पार्टी ऐप लॉन्चर इंस्टॉल करें  - ज्यादातर Android स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियां अपने डिवाइस पर ऑपरेटिंग सिस्टम को कस्टमाइज कर लेती हैं। इन फोन में कंपनी द्वारा डिजाइन किए हुए स्किन्स व लॉन्चर इस्तेमाल होते हैं। ऑपरेटिंग सिस्टम के फीचर्स के अलावा कंपनी के यूजर इंटरफेस में नए विजेट, लेआउट और अन्य फीचर दिया जाता है। वैसे तो कुछ यूजर्स इन कस्टमाइजेशन और फीचर्स को उपयोगी मानते हैं, पर इनमें आपके स्मार्टफोन को स्लो करने की भी क्षमता है। इससे निजा पाने का सबसे बेहतरीन तरीका है, थर्ड-पार्टी लॉन्चर। ये ज्यादातर कस्टम फीचर को हटा देगा, साथ में आपको पर्सनलाइजेशन का विकल्प भी देगा। Google Play स्टोर उपलब्ध सबसे बेहतरीन लॉन्चर में 'Nova Launcher', 'GO Launcher EX' और 'Apex Launcher' शामिल हैं। 

 2. बेकार ऐप्स, वालपेपर्स, विजेट्स को हटाएं - अगर यूजर ने अपने फोन पर काफी संख्या में ऐप्स इंस्टॉल कर रखा है, तो इससे उनका स्मार्टफोन स्लो हो सकता है। यूजर को खुद से पूछने की जरूरत है कि जिन ऐप्स को इंस्टॉल किया है, क्या वह इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर नहीं तो उसे फोन हटा दें। कुछ ऐप्स को अनइंस्टॉल नहीं किया जा सकता, खासकर स्मार्टफोन मैनिफैक्चरर द्वारा दिए गए ऐप्स। ऐसे में उन्हें डिसेबल कर देना सही होगा। लाइव वालपेपर्स और होम स्क्रीन पर बहुत ज्यादा विजेट्स भी आपके स्मार्टफोन को धीमा कर सकते हैं। अगर यूजर इस समस्या का सामना कर रहे हैं, तो उन्हें स्टेटिक वालपेपर्स इस्तेमाल करने के बारे में सोचना चाहिए और कम जरूरी विजेट्स को भी हटाना चाहिए। 

3. गैर-जरूरी बैकग्राउंड प्रोसेस को डिसेबल करें, सिंकिंग ऐप्स चेक करें कुछ ऐप्स फोन के स्टार्ट होते ही काम करने लगते हैं। वहीं, कुछ निरंतर ही ऑनलाइन सर्विसेज के साथ सिंक होते रहते हैं। दोनों किस्म के ऐप नाटकीय तौर से स्मार्टफोन को धीमा कर सकते हैं। यह जानने के लिए कि कौन से ऐप बैकग्राउंड में चल रहे हैं, यूजर को सेटिंग्स में ऐप्स सेक्शन में जाना चाहिए। इसके बाद 'Running' टेब पर स्वाइप करें। अगर ऐसे ऐप्स हैं, जो बैकग्राउंड में चल रहे हैं और उनका इस्तेमाल नहीं है, तो ऐसे ऐप्स को अनइंस्टॉल कर देना चाहिए। अगर ये ऐप्स हटाए नहीं जा सकते तो उन्हें डिसेबल कर देना चाहिए। इसके बाद एक और चीज जांचने की जरूरत है कि क्या ऐसे भी ऐप्स हैं जो बैकग्राउंड में सिंक हो रहे हैं, और सिंकिंग से होने वाले फायदे का इस्तेमाल यूजर्स कर पा रहे हैं। अगर नहीं तो यूजर बैकग्राउंड में सिंक्रोनाइजेशन को बंद सकते हैं। ऐसा करने से डेटा और सिस्टम रिसोर्स, दोनों की बचत होती है। ऐसा करने के लिए Settings मे जाएं, फिर Data usage चुनें। ('Wireless & networks मेन्यू के अंदर 'Usage' नाम का अलग सेक्शन मिल सकता है, हालांकि यह Android वर्जन पर निर्भर करेगा) और इसे नीचे स्क्रॉल डाउन करके चेक करें कि कौन सा ऐप डेटा यूज कर रहा है। इसके बाद यूजर्स हर एक ऐप की सेटिंग्स में जाकर सिंक्रोनाइजेशन को बंद कर सकते हैं, या फिर 'Data usage' सेक्शन में जाकर 'Auto-sync data' ऑप्शन (हालांकि यह हर एंड्रॉयड वर्जन में नहीं है) चुन सकते हैं जिसे बंद किया जा सकता है। किसी भी Google app या सर्विसेज में ऐसा करने के लिए, यूजर्स को Settings>Accounts>Google>UserProfileमें जाने की जरूरत है। यहां पर हर एक Google ऐप और सर्विसेज को टर्न ऑफ कर सकते हैं। इसके अलावा Android स्मार्टफोन यूजर को Advanced Task Killer का जरूर इंस्टॉल करना चाहिए। यह ऐप उन सभी ऐप्स को बंद कर देता है, जो बहुत ज्यादा मैमोरी का इस्तेमाल कर रहे हैं या फिर किसी और कारण से डिवाइस को धीमा कर रहे हैं। 

 4. ऐप का cache क्लियर करें जिन ऐप्स का इस्तेमाल बार-बार होता है, उनके cache तैयार होने लगते हैं जो किसी भी Android स्मार्टफोन को धीमा कर सकता है और यूजर्स इस्तेमाल में लाए गए हर ऐप के cache को निरंतर डिलीट करके अपने डिवाइस की स्पीड बढ़ा सकते हैं। अफसोस की बात यह है कि यह एक रेगुलर प्रोसेस है। इसलिए cache फिर से तैयार होने लगेंगे, जैसे ही उन्हें लॉन्च किया जाएगा। हर ऐप का cache डिलीट करने के लिए यूजर्स को Settings>Apps में जाने की जरूरत है। जरूरी ऐप को चुनकर 'Clear cache' बटन पर क्लिक करना होगा। कई ऐप्स के cache को एक ही बार में डिलीट करने के लिए या रूटीन cache क्लियरिंग के लिए थर्ड-पार्टी ऐप डाउनलोड कर सकते हैं। Play Store से 'App Cache Cleaner' ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, जो कई ऐप्स के cache को एक बार में ही डिलीट कर सकता है। इसके अलावा यूजर रेगुलर cache क्लिनिंग का शेड्यूल भी तय कर सकते हैं। वैसे सभी ऐप्स के cache क्लियर करने के लिए Android में भी विकल्प उपलब्ध है। आपको इसके लिए Settings>Storage>Cached data में जाना होगा। 

 5. एनिमेशन्स डिसेबल करें एनिमेशन्स मुख्य तौर पर मेन्यू, ऐप ड्राअर्स और अन्य इंटरफेस लोकेशन्स में ग्राफिकल ट्राजिशन के बीच काम करते हैं। ये सिस्टम रिसोर्स का इस्तेमाल करते हैं और स्मार्टफोन के इस्तेमाल के दौरान रेगुलर एक्टिव रहते हैं। स्मार्टफोन इस्तेमाल करने के अनुभव को बेहतर बनाने के अलावा ये किसी काम के नहीं हैं। अगर यूजर्स को लगता है कि उनका डिवाइस धीमा हो रहा है, तो वे एनिमेशन्स को टर्न ऑफ कर सकते हैं। इसका दैनिक इस्तेमाल पर कोई खास असर नहीं होगा। अफसोस की बात यह है कि एनिमेशन्स को टर्न ऑफ करना आसान काम नहीं है। यह विकल्प अक्सर 'Developers options' सेक्शन में छिपा रहता है। 'Developers options' एक्सेस करने के लिए यूजर्स को Settings>System>About Phone में जाने की जरूरत है। यहां पर वे फोन का 'Build number' देख सकते हैं। 'Build number' पर सात बार टैप करने के बाद यूजर्स को सिस्टम मेन्यू में 'Developer options' दिखने लगेगा। यहां पर सभी किस्म के एनिमेशन को बंद कर सकते हैं। यूजर्स को एक बात का ध्यान जरूर रखना होगा कि वह इस सेक्शन के किसी और विकल्प के साथ छेड़छाड़ नहीं करें। 

 6. बिल्ट-इन स्टोरेज को क्लीन करें अगर आपके स्मार्टफोन का बिल्ट-इन स्टोरेज लगभग फुल हो गया है, तो आपके स्मार्टफोन बहुत ज्यादा धीमा हो सकता है। फोन को धीमा होने से बचाने के लिए फोन के टोटल बिल्ट-इन स्टोरेज का 10 से 20 फीसदी के बीच उपलब्ध या फ्री होना चाहिए। आसान तरीका यह है कि आप उन सभी ऐप्स को डिलीट कर दें जिन्हें इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। और cache क्लियर करके भी स्टोरेज में स्पेस बना सकते हैं। हालांकि, यूजर को ऐसे समाधान तलाशना चाहिए जो ज्यादा दिन तक चले। ज्यादातर स्मार्टफोन में माइक्रोएसडी कार्ड के जरिए बिल्ट-इन स्टोरेज का बढ़ाने का ऑप्शन होता है। अगर यूजर के स्मार्टफोन में माइक्रोएसडी कार्ड स्टोरेज बढ़ाने का विकल्प है, तो उन्हें अपने सारे फोटो, म्यूजिक और वीडियो को इस पर मूव कर देना चाहिए। ऐप्स को भी इंटरनल स्टोरेज से एसडी कार्ड में मूव किया जा सकता है। इसके लिए ऐप की सेटिंग्स में जाना होगा। Settings>App में जाने के बाद हर ऐप में नेविगेट करना होगा। Android के कुछ पुराने वर्जन इस फीचर को सपोर्ट नहीं करते हैं और इसके लिए यूजर को Google Play स्टोर से 'Apps to SD card' ऐप डाउनलोड करना होगा। 

 7. फर्मवेयर अपडेट करें वैसे कुछ अपडेट्स आपके फोन के लिए नुकसानदेह साबित हो सकते हैं, पर सामान्य तौर पर स्मार्टफोन के फर्मवेयर अपडेट होने से कई तरह के सुधार होते हैं। इसमें मुख्यतः परफॉर्मेंस ऑप्टिमाइजेशन शामिल हैं। जिन यूजर्स को स्मार्टफोन को लेकर शिकायत है, उन्हें जांच लेना चाहिए कि क्या मैनिफेक्चरर ने फोन के लिए फर्मवेयर अपडेट रिलीज किया है। इसके लिए, यूजर को Settings>System>About>Software Updates में जाकर चेक करना चाहिए कि क्या ओवर-द-एयर अपडेट उपलब्ध है या नहीं। अगर यहां अपेडट नहीं है तो यूजर्स अपने स्मार्टफोन को मैनिफेक्चरर द्वारा उपलब्ध कराए गए PC suite software से कनेक्ट करके अपडेट के लिए चेक करना चाहिए। वैसे तो ज्यादातर अपडेट्स के लिए यूजर को अपडेट करने से पहले अपने स्मार्टफोन का बैकअप बनाने की जरूरत नहीं है, पर हमारा सुझाव यही होगा कि ऐसा कर लें। क्या पता कि कोई गड़बड़ हो गई तो। 

 8. फोन को Root कर कस्टम ROM इंस्टॉल करें वैसे हम यह तरीका हर यूजर्स को नहीं सुझाएंगे, यह सिर्फ पावर यूजर्स के लिए है। Android स्मार्टफोन के स्लो होने की प्रोब्लम को इसके जरिए सुलझाया जाता है। इस तरीके में यूजर को अपने डिवाइस पर कस्टम ROM इंस्टॉल करना जाहिए, जो मैनिफेक्चरर के कस्टमाइज्ड UI और फर्मवेयर की तुलना में ज्यादा लाइट है और कम रिसोर्स का भी इस्तेमाल करता है। यह तरीका थर्ड-पार्टी ऐप लॉन्चर इंस्टॉल करने जैसा है। हालांकि, इसका प्रभाव बहुत बड़ा है क्योंकि इसके जरिए आप अपने फोन का सॉफ्टवेयर बदल देते हैं। 

 डिवाइस को Root करने और कस्टम ROMs इंस्टॉल करने के लिए इंटरनेट पर कई गाइड और सॉल्यूशन उपलब्ध हैं। XDA Developers Forum, एक बेहतरीन विकल्प है। यूजर्स को यही सुझाव देंगे कि कस्टमाइज्ड ROM के संबंध में निर्देश और डिस्कशन को पढ़ना बेहद जरूरी है। आप CyanogenModकी वेबसाइट को भी विजिट कर सकते हैं, यहां पर कई इंस्टॉलेशन टूल्स उपलब्ध हैं और ROMs का जिक्र भी है। 

एक बात ज्ञात हो कि स्मार्टफोन को Root करना या उनपर कस्टम ROMs इंस्टॉल करना बेहद ही पेंचीदा काम है, और इसमें डेटा खो जाने का खतरा भी है। ऐसा भी हो सकता है कि आपके डिवाइस काम करना बंद कर दे। ऐसा करने से मैनिफेक्चरर वारंटी भी खत्म हो जाती है। 

 एंड्राइड के कुछ अनछुए पहलू 

एंड्राइड की खूबी ये है कि आप अपने फ़ोन को अपनी ज़रूरत के अनुसार तैयार कर लेते हैं. इसीलिए इसकी सेटिंग में आपको ढेर सारे विकल्प मिलेंगे जो आपके काम आते हैं. कई बार ऐसे ऐप भी होते हैं जो ये काम कर जाते हैं. 

स्मार्टफोन पर थोड़ा समय बिताकर आप ये सब कुछ समझ सकते हैं. 

आइए ऐसे कुछ तरीके बताते हैं जो आपकी परेशानी को दूर तो करेंगे ही, ये बदलाव भी करना बहुत आसान है. 
  1. एंड्राइड स्मार्टफोन पर कभी कभी नोटिफिकेशन की बाढ़ सी आ जाती है. जो नोटिफिकेशन बार है उसपर उसे टैप करके होल्ड कीजिए. उसके बाद आपको उस नोटिफिकेशन की सेटिंग दिखाई देगी और वहां से आप उस ऐप की नोटिफिकेशन की सेटिंग तक पहुंच सकते हैं. वहां से आप उस ऐप की नोटिफिकेशन को हमेशा के लिए बंद कर सकते हैं. 
  2. परिवार के बुज़ुर्गों के लिए कभी-कभी स्मार्टफोन पर जो भी लिखा है उसे पढ़ने में परेशानी होती है. स्क्रीन पर जो भी लिखा होता है उसके रंग और फॉन्ट के साइज के कारण पढ़ने में मुश्किल होती है. इसको बदलने के लिए आपको स्क्रीन के कंट्रास्ट में बदलाव करना होगा. उसके लिए स्मार्टफोन की सेटिंग में जाइए. उसके बाद 'एक्सेसिबिलिटी' को चुनिए. एक बार आपने उसको इनेबल कर दिया है तो स्क्रीन पर जो भी लिखा है वो पहले से साफ़ दिखाई देगा. 
  3. आजकल कई लोग स्मार्टफोन की स्क्रीन पर एक पासवर्ड लगा देते हैं. लेकिन हर समय उसके पासवर्ड को एंटर करना एक तरह की परेशानी हो जाती है. अगर इससे अपने चुने हुए नेटवर्क पर छुटकारा चाहते हैं तो अपने एंड्राइड स्मार्टफोन के 'सिक्योरिटी' में जाइए. उसके बाद 'स्मार्ट लॉक' पर क्लिक कीजिए. वहां पर अपने घर के वाई-फाई 'ट्रस्टेड लोकेशन' का दर्जा दे दीजिए. उसके बाद जैसे ही आपका स्मार्टफोन देखेगा कि आप घर के नेटवर्क से कनेक्टेड हैं तो आपको पासवर्ड की ज़रूरत नहीं होगी. 
  4. कभी कभी स्मार्टफोन को साइलेंट पर करके आप भूल जाते हैं कि उसे कहां रखा है. चूंकि स्मार्टफोन साइलेंट पर है इसलिए दूसरे फ़ोन से कॉल करने का कोई फायदा नहीं है. ऐसे में इस (www.google.com/android/devicemanagerand) URL पर जाइए और उसी गूगल के ईमेल से लॉग इन कीजिए जो आपने स्मार्टफोन में इस्तेमाल किया है. उसके बाद आप अपने स्मार्टफोन के लोकेशन को देख सकते हैं और रिंगर को ऑन भी कर सकते हैं ताकि आपके डायल करने पर फ़ोन की घंटी फिर से बजने लगे. अपने फ़ोन को पासवर्ड से लॉक कर सकते हैं उसका पासवर्ड हटा सकते हैं उसमे नया पासवर्ड डाल सकते हैं जिसको मोबाइल मिले वो आप तक पहुंचाए उसके लिए उसमे massage डाल सकते हैं 
 अपने Android का वर्शन देखें और उसे अपडेट करें आप अपने सेटिंग ऐप में अपने डिवाइस के Android वर्शन का नंबर और सुरक्षा अपडेट का लेवल (स्तर) देख सकते हैं. आपके लिए अपडेट उपलब्ध होने पर, आपको सूचनाएं मिल जाएंगी. आप खुद भी देख सकते हैं कि अपडेट उपलब्ध हैं या नहीं. 

यह देखें कि आपके पास Android का कौन सा वर्शन है

1. अपने डिवाइस का सेटिंग ऐप सेटिंग ऐप्लिकेशन खोलें. 
2. स्क्रीन के निचले हिस्से में, सिस्टम और उसके बाद फ़ोन का परिचय या टैबलेट का परिचय पर टैप करें. 3. नीचे की तरफ़ "Android के वर्शन" और "Android के सुरक्षा पैच लेवल" पर जाएं. Android के नए अपडेट पाएं अपडेट की कोई सूचना मिलने पर, उसे खोलें और अपडेट से जुड़ी कार्रवाई पर टैप करें. अगर आपने अपनी सूचना मिटा दी या आपका डिवाइस इंटरनेट से नहीं जुड़ा था, तो: 

1. अपने डिवाइस का सेटिंग ऐप सेटिंग ऐप्लिकेशन खोलें. 
2. स्क्रीन के निचले हिस्से में, सिस्टम और उसके बाद सिस्टम अपडेट पर टैप करें. (अगर ज़रूरत हो, तो पहले फ़ोन का परिचय या टैबलेट का परिचय पर टैप करें. 
3. आपको अपने अपडेट की स्थिति दिखाई देगी. इसके बाद स्क्रीन पर दिख रहे निर्देशों का पालन करें.

तनवीर अहमद खान
(तकनीशियन)