अभिमान

हे इंसान छोड़ दे,अभिमान 

नहीं तो अकेला रह जाएगा 

माता-पिता,परिवार और समाज में 

अपना अस्तित्व न बना पाएगा

अभिमान से परिश्रम , ज्ञान - सम्मान 

सभी नष्ट हो जाएगा 

हे इंसान छोड़ दे, अभिमान 

नहीं तो अकेला रह जाएगा 


अपने अभिमान को छोड़ आ श्मशान में वहां

 जहां बड़े संत , महंत, अमीर 

पंच तत्व में विलीन हो गए हैं.

 नहीं तो ये अभिमान तेरी आत्मा 

को कष्ट बहुत पहुंचाएगा

 हे इंसान छोड़ दे अभिमान 

नहीं तो अकेला रह जाएगा 


अभी भी वक्त है संभल जा 

छोड़ अपनी हठ , अभिमान

सब कुछ यथावत वापस मिल जाएगा 

हे इंसान छोड़ दे,अभिमान 

नहीं तो अकेला रह जाएगा



ओमप्रकाश वर्मा
अभियांत्रिकी सहायक
दूरदर्शन केंद्र भोपाल