मै हो गया तुम।।।
उषा की पहली किरण तुम, संध्या की भक्ति वंदन तुम।
दफ्तर की नोटिंग में तुम,
मीटिंग की मेटर में तुम।
मंज़िल की सफर हो तुम,
नाश्ते की बटर हो तुम।
शेकर की शेक में तुम,
जूस की फल रस हो तुम।
कलाकार की कला में तुम,
राग की संगीत हो तुम।
वाद्य की रुनधुन हो तुम।।
कार्य की प्रेरणा हो तुम,
मन की चेतना हो तुम।
दुख की वेदना हो तुम।।
सुंदरता की सौम्या हो तुम,
मधुरता की राम्या हो तुम।
भूल जाने की कोशिश में,
याद बहुत याद आती तुम।
इस कदर घुल गयी अक्स में,
मैं तो मैं रहा ही नही,
हो गया हूँ,
मैं सिर्फ तुम,तुम और तुम।।।
विकास कुमार
कार्यक्रम अधिशासी
दूरदर्शन केंद्र शिमला