लापता लेडीज़ - पहुंची ऑस्कर की रेस में

 सिने विमर्श 

'लापता लेडीज़' पहुंची ऑस्कर की रेस में

विनोद नागर


     भारतीय फिल्मोद्योग के लिए आज भी राष्ट्रीय फिल्म समारोह और राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों से ज्यादा महत्व कान्स फिल्म फेस्टीवल और ऑस्कर अवॉर्ड का है। हर साल ऑस्कर अवॉर्ड के लिए विभिन्न श्रेणियों में दुनिया भर के देशों से चुनिंदा फिल्में दस्तक देती हैं। हालांकि भारत से ऑस्कर के लिए भेजी जाने वाली फिल्मों का चयन केन्द्र सरकार का सूचना और प्रसारण मंत्रालय नहीं बल्कि फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा गठित ज्यूरी करती है।

लापता लेडीज - फोटो : Social media साभार 
  इस बार ऑस्कर अवॉर्ड के लिए भारत से भेजी जा रही फिल्मों में सबसे ज्यादा जिक्र 'लापता लेडीज' का हो रहा है। आमिर खान प्रोडक्शंस द्वारा निर्मित इस फिल्म की चर्चा महज इसलिए नहीं हो रही है कि इसका फिल्मांकन मध्य प्रदेश में हुआ है या इसका निर्देशन आमिर खान की अलग हो चुकी पत्नी किरण राव ने किया है। दरअसल इस सितारा विहीन फिल्म के ऑस्कर की दौड़ में शामिल होने की मुख्य वजह उसकी वह नारी केंद्रित कहानी है, जो महिला सशक्तिकरण के ग्रामीण ताने-बाने में आधुनिक संदर्भों के साथ बुनी गई है।


     विवाह के उपरांत रिश्तेदारों के साथ घर लौटते समय ट्रेन में दो नवविवाहित दुल्हनों के आपस में बदल जाने की दिलचस्प कहानी को नारी सशक्तिकरण से जोड़ते हुए निर्देशक किरण राव ने उम्दा ट्रीटमेंट दिया है। उन्होंने पूरे समय फिल्म के कथानक को 'लार्जर देन लाइफ' स्केल देने से  बचाए रखा है। यही इस फिल्म की मुख्य विशेषता भी है। इससे दर्शकों को 'लापता लेडीज' का देशज स्वरूप हर दृश्य में लुभाता है। सुगढ़ पटकथा, सहज संवाद और चुस्त संपादन सहित फिल्म के अन्य सभी पक्ष प्रभावी हैं। कहानी में पिरोये गये चौंकाने वाले मोड़ जिज्ञासा बनाए रखते हैं।


     रवि किशन को छोड़कर नितांशी गोयल, प्रतिभा रांता, स्पर्श श्रीवास्तव, छाया कदम, सतेन्द्र सोनी, अमन श्रीवास्तव, दुर्गेश कुमार, गीता अग्रवाल, कनुप्रिया, भास्कर झा, विवेक सावरीकर 'मृदुल',  समर्थ माहौर, प्रांजल पटेरिया, दाऊद हुसैन, कीर्ति श्रेयांश जैन, रचना गुप्ता समेत फिल्म के अधिकांश कलाकार नये हैं। पर सभी अपने किरदारों में खूब जमें हैं।


     'लापता लेडीज' को ओटीटी पर नेटफ्लिक्स ने 26 अप्रैल से करोड़ों दर्शकों तक घर बैठे पहुंचाया जबकि पूर्व घोषणानुसार निर्माताओं ने फिल्म को इसी वर्ष 1 मार्च को सिनेमाघरों में भी रिलीज किया। बतौर निर्देशक, किरण राव की यह दूसरी फिल्म है। करीब डेढ़ दशक पूर्व उनके द्वारा निर्देशित पहली फिल्म 'धोबी घाट' (2010) आई थी। इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मुंबई डायरी'ज/ बॉम्बे डायरी'ज के नाम से प्रदर्शित किया गया था। यद्यपि फिल्म आम भारतीय दर्शकों का दिल जीतने में विफल रही। किंतु वैश्विक प्रदर्शन के जरिए उसने लागत से दुगनी कमाई तो कर ही ली थी।


     करीब चार-पांच करोड़ रूपए के औसत बजट वाली 'लापता लेडीज' भी अभी तक लागत से पांच गुना अधिक की कमाई कर चुकी है। राज्य की नई फिल्म विकास नीति के तहत मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम ने 'लापता लेडीज' के निर्माण में सहयोग किया है। इस फिल्म की अधिकांश शूटिंग मध्य प्रदेश के सीहोर जिले में हुई है। मात्र 45 दिन में फिल्म की शूटिंग पूरी कर ली गई थी।


     ऑस्कर में 'बेस्ट फॉरेन लैंग्वेज कैटेगरी' के लिए चयनित 'लापता लेडीज' यह प्रतिष्ठित अवार्ड हासिल करे, इसके लिए फिल्म के निर्माताओं ने कमर कस ली है। निर्माता आमिर खान ने फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया और चयन समिति के प्रति आभार व्यक्त किया है। असमिया फिल्मों के ख्यात निर्देशक जानू बरुआ इस चयन समिति के अध्यक्ष थे। फिल्म के निर्माण से जुड़ी एक अन्य भागीदार ज्योति देशपांडे तो इस बात से ही खुश हैं कि ग्रामीण पृष्ठभूमि लिए उनकी यह फिल्म ऑस्कर में भारत का प्रतिनिधित्व करेगी। 


     संयोग से आमिर खान की ही बनाई ग्रामीण पृष्ठभूमि वाली 'लगान' भी नई सदी की शुरूआत में ऑस्कर के लिए नामित हुई थी। पिछले साल भारत को एस. एस. राजमौली निर्देशित फिल्म 'आरआरआर' के गीत "नाटु नाटु.." तथा गुनीत मोंगा निर्मित और कार्तिकी गोंसाल्विज निर्देशित डॉक्यूमेंट्री 'द एलिफेंट व्हिस्पर्स' को ऑस्कर अवॉर्ड मिलने से हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो गया था।


 

विनोद नागर

(लेखक दूरदर्शन केन्द्र भोपाल से संयुक्त निदेशक (समाचार) के पद से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं)