\\ मां \\
मां मां होती है
पर कहां हार मानती है
बच्चा जब रोता है तो
उसे सीने से लगाकर चुप कराती हैबच्चा भूखा होता है तो छाती से लगाकर दूध पिलाती है
पर कहां हार मानती है
बच्चा बीमार होता है तो रात भर निशब्द होकर निहारती है
उसे छाती से लगाकर सुलाती है उसे दवा पिलाती है
पर कहां हार मानती है
बच्चा सुबह उठता है तो उसके चेहरे पर ममता की मुस्कान आती है
बच्चा जब खिलखिलाता है तो उसको काला टीका लगाकर नजर उतारती है
पर कहां हार मानती है
बच्चे को खिलाकर खुद भूखी सो जाती है
सारे कष्टों को छुपा कर उसको धैर्य बंधाति है
पर कहां हार मानती है
सारे रिश्ते तोड़कर भी
बच्चे की शादी पर सारी खुशियां दौलत लुटाती है
पर कहां हार मानती है
बच्चे के इल्जाम लगाने पर दिल टूटने पर भी शांत रह जाती है
पर कहां हर मानती है
बच्चों के घर छोड़ जाने पर उसकी याद सताने पर
खुद को लाचार पाने पर मां फिर हार मान जाती है
मां ऐसी ही होती है
अभियांत्रिकी सहायक दूरदर्शन केंद्र भोपाल