पर्यावरण
युवाओं पुरुषार्थ करो ,कुछ पर्यावरण का भी ख्याल करो ।
पेड़ लगाओ पेड़ बचाओ, वातावरण खुशहाल करो ।
भंवरों का गुंजन सुनो कभी,कभी तितलियों से भी प्यार करो ।
बाग-बगियों को हरा-भरा कर, खुश अपना संसार करो ।
प्लास्टिक पन्नी को बंद करो, दृढ़ ऐसा संकल्प करो ।
प्रदूषण को कम करो ,वाहनों को विकल्प करो ।
कागजों को बचाओ सदा, उपयोग इनका अल्प करो।
छोटी-छोटी बातें अपनाकर, पर्यावरण का कायाकल्प करो।
सौर ऊर्जा तुम अपनाओ, बिजली भी तुम रोज़ बचाओ।
पैदल चलो साइकिल चलाओ, स्वस्थ रहो सेहत बनाओ ।
लो मजा कभी शीतल समीर का, बगिया में तुम घूमने जाओ ।
कभी भंवरी का गुंजन सुनकर ,चंचल मन को भी हरषाओ ।
कम करो रसायन खाद को, जैविक खेती को अपनाओ ।
अन्न शाक विषमुक्त उगाओ, खूब स्वाद फिर इनमें पाओ।
जलवायु बदल रही है, ओज़ोन छिद्र है बढ़ रहा ।
पर्यावरण से विमुख मानव ,क्या अपना भविष्य गढ़ रहा ।
कुछ पर्यावरण का भी ध्यान करो ,प्रकृति के नियमों का कुछ तो सम्मान करो।
कार्बन उत्सर्जन कम करो ,सुरक्षित पशु पक्षियों को जान करों।
जल संरक्षण करना है हमको, वायु में प्राण भरना है हमको ।
ध्वनि शोर को कम करना है, कम करना है विकिरणों का जाल हमको ।
भरना है भंडार जल के, पूरे करना है हर सपने कल के।
तो यह संकल्प हमारे कर्मों में छलके, खुशियों के बदरा फिर बरसे हल्के हल्के।
आतिशबाजी कम हो जिसमें ,ऐसी दीपमयी दीपावली मनाए ।
होली खेले हम फूलों की, नव वर्ष पर दीप जलाएं ।
प्रवीण कुमार