मानव जन्म अन्मोल

मानव जन्म अन्मोल


इस संसार की रचना उस प्रभू ने की है I यह रचना पांच तत्वों जैसे धरती,
आकाश, अग्नी, पानी और हवा से सम्बन्धित है I संसार में नज़र आने वाली प्रत्येक
वस्तु में कोई ना कोई तत्व विद्यमान है I किसी में एक तत्व, किसी में दो तत्व
मौजूद हैं I प्ररंतु इन सब में मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जिस में उपरोकत सभी पांच
तत्व मौजूद हैं I इसी कारण संत महात्माओं ने मनुष्य को पांच तत्वों का पुतला कहा हैI 


इन सब की रचना करने वाला प्रभू एक ही है लेकिन संसार के लोगों ने उस प्रभू के
अल्ग अल्ग कई नाम रखे हैं जैसे कि वाहेगुरु, गॉड , अल्लाह, राम इत्यादि I
उस प्रभू द्वारा रचित सृष्टि में हम प्रत्येक पल अपने व्यकित्गत लाभ के
सम्बंध में ही सोचते रहते हैं I परंतू सर्वोपरि हमारा कर्तव्य यह होना चाहिये कि हम
एक ऐसे गुरू की तलाश करें जो हमें प्रभू प्रापती का मार्ग दिखाए और भक्ति मार्ग
पर अग्रसर होने का उपाय सुझाए कयोंकि कोई भी मार्ग गुरु के मार्ग-दर्शन के बिना
सम्भव नहीं है I 
गुरु के महत्व को उक्ति पूर्ण रूप से स्पष्ट करती है, ”गुरु गोबिंद
दोऊ खड़े काके लागे पाए, बलिहारी गुरु आपने जिन गोबिंद दियो मिलाए I”
संसार में मनुष्य के प्रबल शत्रु काम, क्रोध. लोभ, मोह और अहंकार माने गए
हैं I चंचल मन सदैव अस्थिर रह्ता है I कभी किसी एक वस्तु की लालसा तो कभी
दूसरी वस्तु की लालसा I इस भ्रमित मन को वश में करना ही संसार में सब से बड़ी
उपलब्धि है I 

पंजाबी की कहावत है कि “मन चंगा ते कठौती च गंगा” अर्थात यदि
मन पवित्र है तो मानव किसी भी वस्तू को पा सकने में सक्षम है I यदि मन ही
वश में नहीं तो फिर संसारिक दुविधाओं से दूर रह्ना या छुटकारा पाना असम्भव है.
कई बार तो हम ऐसा सोचते हैं कि हम किसी निश्चित वस्तू के बिना नहीं रह सकते
परंतू एक समय ऐसा भी आता है कि जब हम उसी वस्तू से घृणा करने लगते हैं I
हम जो सोचते और करते र्हैं, वास्तव में वह हमारे मन की ही विभिन्न स्थितियां या
दिशाएं हैं I इस मन में तो सदैव अपूर्ण इच्छाएं विद्यमानरह्ती हैं I 

मन एक अथाहसागर है I यह असीम है, अंतहीन है और इसका कोई शोर नहीं I
 मन पर अंकुश नहीलगाया जा सकता I इस पर नियंत्रण बहुत ही मुश्किल कार्य है I
 इसकी लालसाअनंत और पारदर्शिता असीम है I
 जो मन को नियंत्रित कर लेता है, वह संसार पर
विजय पा सकता है I तभी तो गुरुवाणी में यह कहा गया है कि “मन जीते जग
जीत” I प्रभू सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापक और अंतरयामी है I उसको पाने के लिये हर
प्रकार से मन को नियंत्रित करना होगा I मन जब स्थिर और नियंत्रिक होगा तो सभी
इच्छाएं अपने आप ही पूरी हो जायेंगी I
संसार में मानव जन्म को ही सर्वश्रेष्ठ माना गया है क्योंकि मानव ही अपनी
भक्ति और कर्म से उस प्रभू को प्राप्त कर सकता है I इसी लिये हमें स्दैव मन में
नम्रता और प्रभू दर्शन की अभिलाषा रखनी चाहिये और यह बात भली-भांति समझ
लेनी चाहिये कि जो सुख और शांति हम प्रभू आश्रय में रह कर प्राप्त कर सकते हैं
अन्यत्र कहीं भी प्राप्त नहीं कर सकते I
इसी लिये हमें चाहिये कि हम इस मानव जन्म का लाभ उठा कर उस सच्चे
गुरू की तलाश करें और उसके बताए हुए मार्ग पर चलें और सर्वत्र मानव प्रेम का
प्रचारकर मानवता की सेवा करें I यह मानव शरीर नश्वर है I मृत्यु सत्य है, एक
प्रभु का नाम अजर है, अमर है और अमिट है I तभी तो सभी महान आत्मायों ने
हमें ईश्वर भक्ति के लिए प्रोत्साहित किया और हमें बताया कि “नाम” में बड़ी शक्ति
है I उसी के सहारे हम यह भव सागर पार कर सक्ते हैं I विषय-विकारों के पीछे
भाग कर हम इस मानव जन्म को व्यर्थ न गवाएं I प्रेम प्यार और जन-मानस की
सेवा में ही मनुष्य का कल्याण है I हमें सदैव स्मरण रखना चाहिए कि “कण-कण
में भगवान विद्यमान है I”
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जसविंदर सिंह काईनौर
मुख्य लिपिक/लेखकार
दूरदर्शन चंडीगढ
सम्पर्क सूत्र 9888842244