किसने दी है दस्तक
कौन है ये
कहीं ये वो लड़की तो
नहीं
जिसके जाने के बाद
मुझ तक आने वाला
हर रास्ता स्वयं बंद
किया था मैंने
हां ये वही है, चेहरा
वही है, रंग बदल गया है
लगता है किसी ने
दुखा दिया है
उस लड़की का ह्दय,
जिसने अपने प्यार,
और मेरे बारे में कभी नहीं सोचा
तोड़ दी थीं जिसने
प्यार की रस्में
कर लिया था विवाह,
घरवालों की इच्छा से
आज वो आई है फिर मुझसे
मिलने
तुम जब गई थीं मुझे छोड़कर,
डोली में बैठकर, मैं
तब भी दुखी था
आज तुम मुझसे मिलने
आई हो
मैं आज भी दुखी हूं
और अकेला भी
आज मैं इस बात को
जान गया हूं
कि तुम मेरे लिए कभी
परायी थीं ही नहीं
क्योंकि जो पीड़ा
तुमने मुझे दी है
वो कोई अपना ही दे सकता
है l
(के. के. बाथम
‘कृष्ण’)
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