वर्तमान परिद्श्य में लोक प्रसारण में हिन्दी की भूमिका


वर्तमान परिद्श्य में लोक प्रसारण में हिन्दी की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है l हमारा राष्ट्र हिन्दी राष्ट्र है तथा अधिकतर लोग हिन्दी में ही अपने दैनिक कार्य करते है एवं अपने आपको, अपने विचारों को बेहतर तरीके से अभिव्यक्त कर सकते है आज हमने विश्व में देखा है कि अपनी मातृ भाषा में काम करके भी विभिन्न देशों ने सफलता का परचम लहराया है, इसमें प्रमुख देश है चीन, फ्रांस, जापान आज चीन दुनिया में विकसित देशों की गिनती में है फ्रांस जापान भी विकसित देशों में आते है l वो सभी अपनी मातृभाषा में काम करते है एवं उनके लोक प्रसारक अपनी मातृभाषा में ही प्रसारण करते है l

      अब हम हमारे यानि कि दूरदर्शन की बात करते है दूरदर्शन द्वारा अधिकतर कार्यक्रम हिन्दी में प्रसारण किये जाते है लेकिन पढ़ाई से सम्बन्धित कार्यक्रम हिन्दी में नहीं होने की वजह से आमजन जो कि अंग्रेजी नहीं जानते उन्हें काफी परेशानी होती थी इस सबको ध्यान में रखकर दूरदर्शन द्वारा व्यापक प्रसारण के लिए एक विघार्थियों के लिए कार्यक्रम बनाए जाने का प्रस्ताव पास हुआ एवं हिन्दी भाषा में एक घंटे का कार्यक्रम क्लास रूम बनने लगा आज इस कार्यक्रम की लोकप्रियता काफी है l
      वर्तमान परिद्श्य में कृषि के क्षेत्र में जितना काम किया जाय उतना कम है, क्यों कि पैदावार बढ़ाने हेतु नित नये तरीके अपनाना पड़ता है एवं समय-समय पर किसानों को दूरदर्शन के द्वारा हिन्दी में जानकारी देना एवं कैसे अधिक से अधिक पैदावार लेना यह अपनी भाषा में बहुत सुविधाजनक तरीके से संभव है l इसके लिए मैं एक बहुत ही प्रेक्टिकल उदाहरण देना चाहता हूँ l छत्तीसगढ़ के कोंडा गाँव का एक किसान जो कि बहुत सामान्य व्यक्ति है वो दूरदर्शन के कार्यक्रम हिन्दी में देखकर सफेद मुसली की खेती करता है, जो कि में औषधीय पौधा है एवं जिसकी विदेशों में काफी मात्रा में माँग है, देश के साथ-साथ विदेशों में भी वह नियति कर रहा है l

            जब माइक्रोसाफ्ट कम्पनी वाला बिल गेट्स हिन्दी से प्रेरित होकर विन्डोज हिन्दी में बना सकता है अमेरीका में हिन्दी के व्याख्यायान आयोजित हो सकते है l आज दूसरे देशों द्वारा हिन्दी को इतना बढावा दिया जा रहा है तो हम लोकप्रसारक के रूप में हिन्दी की भूमिका को नजर अंदाज बिलकुल नहीं कर सकते l

      आज आम नागरिक जो बोलना चाहता है जो सोचता है जो समझता है, वह सब हिन्दी में, लेकिन जब परीक्षा में बैठता है साक्षात्कार देता है तो अंग्रेजी में ट्रांसलेट करता है, एवं अपने भावों की अभिव्यक्ति ठीक तरह से नहीं कर पाता एवं कई प्रतियोगी परीक्षाओं में सफल नहीं हो पाता l इन सबको ध्यान में रखकर लोक प्रसारक के रूप में दूरदर्शन हिन्दी में विभिन्न कार्यक्रम चलाकर लोगों को प्रोत्साहित करने का काम कर रहा है l एवं वह सफल भी है l

      आज भारत का व्यक्ति गर्व के साथ कह सकता है कि यू.एन. में भी हिन्दी में भाषण देकर ध्यान आकर्षित किया जा सकता है एवं अपनी समस्याओं को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भी अपनी भाषा में बखूली रखा जा सकता है l एवं बड़े-बड़े देशों को अपनी बात आसानी से मनवायी जा सकती है लोक प्रसारक के रूप में यह सब गतिविधियों दिखाना एवं हिन्दी को बढ़ावा देना, काफी महत्वपूर्ण है l

      हिन्दी के पीछे रहने का मुख्य कारण भी आप हम सभी है आज हम अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाना चाहते है बचपन ने उसको सारी थेक्य यू सिखाते है, लेकिन दोष दूसरों पर मढ़ते है कि हिन्दी के लिए कुछ नहीं किया आज हमें अपने विचारों को बदलना होगा एवं विचारों को बदलने के लिए सबसे लोकप्रिय मिडिया ही है आज टेलीविजन पर हम जो देखते है अपने अंतर उतारने की कोशिश करते है l आज हमारे आदर्श मिडिया पर तय होते है l ऐसे में लोकप्रसारण में हिन्दी की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है l

आज विश्व में हिन्दी सिनेमा का बाजार किसी से हुपा नहीं है पाकिस्तान, अफगानिस्तान, जैसे देशों में भी हमारी हिन्दी चलचित्र एवं हिन्दी गाने लोकप्रिय है एवं अफगानिस्तान में तो लोग हुप हुप कर हिन्दी गाने सुनते है आज अमेरिका, आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन एवं कई पश्चिमी देश भारत की जरूरत के हिसाब से अपने उत्पाद, टीवी, कार्यक्रम बनाते है जब हिन्दी दूसरे देशों की तरक्की में अहम हिस्सा निभा सकती है तो हमारे लोकप्रसारण में क्यों नहीं l

वर्तमान परिद्श्य में लोकप्रसारण में हिन्दी की महत्वपूर्ण भूमिका है एवं सदियों से हिन्दी ने अपनी संस्कृति को विश्व तक पहुंचाया है अन्त में इतना कहना चाहूँगा l “कौन कहता है, आसमान में सुराख़ नहीं होता, कौन कहता है, आसमान में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो दिल से उहालो यारों l” अर्थात अधिक से अधिक हिन्दी का उपयोग कीजिए l
इति श्री l

(अनुपम बांठिया)
अभियांत्रिकी सहायक