अनुशासन नियमावली के उल्लेखनीय पहलू


केन्द्रीय शासन कार्मिकों के लिये अनुशासन नियमावली के उल्लेखनीय पहलू

केन्द्रीय शासन के अधिकारयों के समक्ष कई बार ऐसी स्थितियों आती है जब उन्हें अपने मातहत कर्मचारियों के कार्यों की निंदा करने व उनके द्वारा की गयी अनुशासन हीनता के लिये कार्यालयीन अनुशासन बनाये रखने के लिये उनका स्पष्टीकरण माँगा जाना अनिवार्य हो जाता है जिससे कि तथ्यों को सामने लाया जा सके साथ ही साथ शासकीय कर्मी को न्याय पूर्ण एक अवसर दिया जा सके जिससे कि वह अपना पक्ष समुचित रूप से प्रस्तुत कर सके l 
        यदि शासकीय कर्मी द्वारा किया गया कदाचार इस तरह का है जिसमें औपचारिक दंड देने की आवश्यकता नहीं है अपितु केवल औपचारिक कार्यवाही की आवश्यकता है जैसे कि, लिखित रूप से चेतावनी देना इत्यादि तब अधिकारी चाहे तो शासकीय कर्मों को एक लिखित चेतावनी देते हुये उसकी एक प्रति संबंधित शासकीय कर्मों की व्यक्तिगत फाइल के रखने के आदेश दे सकते है l जब तक कि शासकीय अधिकारी इस बात से पूर्ण संतुष्ट न हो कि इसकी आवश्यकता है इस तरह की चेतावनी संबंधित शासकीय कर्मों की व्यक्तिगत फाइल में रखी जानी चाहिये तब तक इस तरह की कार्यवाई अपेक्षित नहीं है बल्कि सिर्फ लिखित ज्ञापन जारी कर उनसे स्पष्टीकरण लेना ही पर्याप्त होता है l

       यदि पर्यवेक्षण अधिकारी के मतानुसार संबंधित शासकीय कर्मचारी के प्रदर्शन में लिखित चेतावनी देने के बाद भी कोई सुधार परिलक्षित नहीं हुआ है तो वह संबंधित शासकीय कर्मचारी की गोपनीय चरित्रावली के संबंधित काँलम में उचित विपरीत टिप्पणी कर सकते है इसे विपरीत टिप्पणी मानते हुये संबंधित शासकीय कर्मचारी को सूचित किया जाना चाहिये l संबंधित शासकीय कर्मी का वैधानिक अधिकार है कि यदि वह चाहे तो इसे हटाने के लिये अपना लिखित प्रतिवेदन कार्यालय में सक्षम अधिकारी (सामान्यत: कार्यालय प्रमुख) के समक्ष प्रस्तुत कर सकते है l

      विभागीय नियमानुसार नियमित विभागीय जाँच के उपरांत लिखित चेतावनी नहीं दी जा सकती बल्कि नियम 11 सीसीएस (सीसीए) 1965 के अंतर्गत कम से कम “Censure” का औपचारिक दंड देना जरूरी है l  जिसका अर्थ है कि “चेतावनी” औपचारिक दण्ड की श्रेणी में नहीं आता है l

      यदि पर्यवेक्षण अधिकारी चाहे तो किसी शासकीय कर्मचारी के द्वारा की गयी अनुशासन हीनता गंभीर है तो कार्यालय प्रमुख से औपचारिक दण्ड हेतु उचित विभागीय कार्यवाई के लिये प्रस्ताव दे सकते है जिस पर समग्र रूप से विचार करते हुये सक्षम अधिकारी द्वारा नियमावली सीसीएस (सीसीए) 1965 के अंतर्गत उपनियम 16 अथवा 14 के अन्तर्गत विभागीय जाँच प्रारंभ करने के आदेश जारी किये जा सकते है l

       जिसमें संबंधित शासकीय कर्मचारी अथवा अधिकारी को अपना पक्ष प्रस्तुत करने के पर्याप्त अवसर दिये जाते है l यदि शासकीय कर्मचारी विभागीय जाँच के उपरान्त दिये जाने वाले दण्ड की कार्यवाई से संतुष्ट नहीं है तो वह उपनियम 22 व 28 के अन्तर्गत दण्ड प्राप्त होने की तिथि से 45 दिनों की अवधि में उच्च अधिकारयों को अपील कर सकते है यदि संबंधित शासकीय कर्मचारी अपीलेट अधिकारी के निर्णय से भी संतुष्ट नहीं है तो उपनियम 29 के अन्तर्गत वो देश के राष्ट्रपति के समक्ष अपना revision आवेदन प्रस्तुत कर सकते है l उपरोक्त समस्त कार्यवाई में दोनों पक्षों को समान अवसर प्रदान किये जाते है l

(अरविन्द गुप्ता)
प्रशासनिक अधिकारी