बिना जड़ों के पेड़

 बिना जड़ों के पेड़

बिना जड़ों के पेड़ हो गए, 
जिनका कोई गाँव नहीं।
सिर पर हाथ बुजुर्गों का, 
वो पीपल वाली छाँव नहीं।
मिल कर काम सभी करते हैं,
दुआ सलाम सभी करते हैं।
बैरी मित्र परख न पाते,
गलती करें, डपट न पाते।
फूलें फलें या मर खप जाएं,
इनका कोई सुझाव नहीं।
बिना जड़ों के पेड़ हो गए,
इनका कोई गाँव नहीं।
होली और दीवाली आती,
गर्मी की छुट्टी कट जाती।
कोई नहीं कहता कि आओ,
अर्सा बीता शक्ल दिखाओ।
परिवारी हो गए पाहुने,
इनका कोई लगाव नहीं।
सिर पर हाथ बुज़ुर्गों का,
वो पीपल वाली छाँव नहीं।
आ जाओ हम नहीं भगाते,
न आओ, हम नहीं बुलाते।
फ़र्ज़ थे जो भी अदा हो गए,
अब हम कडवी दवा हो गए।
संबंधों और अनुबंधों का,
इन पर कोई दबाव नहीं।
सिर पर हाथ बुज़ुर्गों का,
वो पीपल वाली छाँव नहीं

अनीता श्रीवास्तव