उभरती नारी और चार लोग

उभरती नारी और चार लोग

 
     बहुत थक गई है नारी यह सुनते सुनते कि चार लोग क्या कहेंगे । और मजे की बात यह है की वह चार
लोग है कौन और हमसे उनका क्या संबंध, क्या लेना देना है । वास्तव में बात क्या है कि हम बस नारे
स्लोगन बना सकते हैं जैसे कि देश प्रगति कर रहा है , हम आगे बढ़ रहे हैं- हा हा हा हंसी आती है , कि
पैरों में जंजीर बांध रखी है और आगे बढ़ने की बात करते हैं । वह तो हमारी सशक्त नारी है जो बंद

कर भी यह मुकाम जीत ले रही है । कुछ उदाहरण समक्ष है -चाहे वो जेट उड़ाती अवनी हो, या
राष्ट्रमंडल खेलों में झंडे स्थापित करती विजेता मनु भास्कर , पूनम यादव , हमारी महिला टेबल टेनिस
टीम । जरा सोच कर देखें बंधन होते हुए भी जब यह स्थिति है तो जनाब मुक्त होते ही तो यह दुनिया
का कायाकल्प ही कर देंगी ।

साथ ही साथ वह चार लोग जिन्हें में शिद्दत से ढूंढ रही हूं, यदि वो मुझे पढ़ सकते हो तो, उनसे भी एक
बात साझा करनी थी कि - मान्यवर आप हमें प्रोत्साहित करना तो छोड़ो , हमारा सामना भी नहीं कर
सकते , तो जरा हटिये क्योंकि कतार में तो हम हैं आप नहीं । यहां चार लोगों से मेरा तात्पर्य उन लोगों
से है जो समाज ने बना रखे हैं , यह धर्म , जाति या लिंग विशेष के लिए कतई नहीं है ।
इन चार लोगों ने तो परेशान ही कर रखा था । भगवान की कृपा है कि अब परिवार धीरे धीरे ही सही
इन चार लोगों का यथार्थ समझ रहा है नहीं तो , पहले तो हर बात पर - जैसे कि यह मत करो चार
लोग क्या कहेंगे, अरे ऐसा कर दिया चार लोग क्या कहेंगे वगैरा-वगैरा जैसे ताने सुनाये जाते थे ।
सबने समझाया है कि किसी के कहने से कुछ नहीं बदलता , पर कोशिश तो कर सकते हैं कुछ अच्छा
कहकर देखें । जब वही चार लोग उत्साहवर्धन करेंगे तो फिर सही अर्थों में सब साथ कहेंगे -
“ मेरा देश बदल रहा है
आगे बढ़ रहा है

आकांक्षा श्रीवास्तव