हौसलों का जयघोष

हौसलों का जयघोष



तय कर लिया एक लंबा सफर
चट्टानों से लड़ती
खिलखिलाहट ने

दर्शनीय है
चेहरे के निशाँ
जो मिले संघर्षो की धूप - छाँव में

वन्दनीय है
पैरों के छाले
जो मिले जीवन की कँटीली राह में

मायूसी टिकी न चेहरों पे कभी
जगमगाई धरती
विराट हौसलों की चमक में

फहराती
शिखर पर जीत का परचम
उन्मुक्त-सी हंसी
अदम्य विश्वास के
जयघोष में।



संजय गुप्ता

अभियांत्रिकी सहायक