जीवन और हमारी अवधारणाएं

जीवन और हमारी अवधारणाएं

जीवन अर्थात् जन्म से मरण तक की संपूर्ण यात्रा ︳मानव के इस संसार रूपी भवसागर में आने से लेकर संसार त्यागने तक का सफर ︳किसी का सफर लंबा होता है तो किसी का छोटा ︳मानव की इस परिप्रेक्ष्य में सोच एवं अवधारणा यही है कि “प्रभु की इच्छा” और “भाग्य का लेखा” ︳ कुछ जन इसे किसी व्यक्ति विशेष के "कर्म  फल"  की भी संज्ञा देते हैं︳



जीवन को कई प्रकार से परिभाषित किया गया है - कुछ इसे अबूझ पहेली तो कुछ इसे अनजान राह बताते  हैं ︳ वास्तव में जीवन सुख और दुख का संगम है ︳ हमें हमेशा लगता है कि हमारे जीवन के तराजू पर दुख का पलड़ा भारी है ︳ यह  शायद हमारा भ्रम है ︳ हमारे पास इस तथ्य का कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है︳ यदि हम भगवान के अस्तित्व पर विश्वास रखते हैं तो हमें  उनके न्याय पर भी विश्वास रखना चाहिए, ऐसा मस्तिष्क सोचता है पर हमारा अंतर्मन नहीं ︳


जीवन को यूं तो कई तरह से परिभाषित कर सकते हैं पर वास्तव में जीवन के अर्थ को शब्दों के बंधन में नहीं बांधा जा सकता है और ना ही कोई परिभाषा इसे स्वयं में समेट सकती है︳ लोग इसे खुशी और कठिनाइयों की कसौटी पर परख कर इसे किसी वरदान या अभिशाप की संज्ञा देते हैं︳

 मेरी मानो तो जीवन ईश्वर प्रदत्त वो अमूल्य वरदान है जिसके सामने संसार और यहां तक कि संसार से परे भी कुछ नहीं है︳ और इसे अमृतरस समझ कर पीना चाहिए और सप्रेम इसका अंगीकरण करें︳

 शायद कुछ लोगों को मेरी यह बातें मिथ्या लग रही होगी︳ इसका अर्थ यह नहीं है कि मैं गलत हूं या वह गलत है और मुझे ज्ञात है कि उनके तथ्य हमेशा मुझे गलत कहने के लिए प्रयत्नशील रहेंगे पर वह सब गलत नहीं है परिस्थितियां उन्हे कटघरे में लाकर खड़ा कर देती है︳

 साथ ही मेरे कथनो का भावार्थ यह भी नहीं है कि मेरे जीवन में कठिनाई नहीं है पर मेरे पास एक ऐसा अपराजेय अस्त्र है जो मुझे सब दुखों से बचाता है और वह है-

                   “मेरे भगवान और माता पिता का मुझ पर अटूट विश्वास और मेरा उन पर अटूट विश्वास और हमारे बीच अपार प्रेम "

 हर बार जब कठिनाई सामने आती है तो मुझे प्रभु की याद आती है, सुख मैं तो उन्हे शायद भूल ही जाती हूं, पर हां उन पर विश्वास टूट है︳ जब  दुख  मे उन्हे याद करती हूं तो शायद मेरा यही विश्वास है जो मुझे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आशीष और सहायता मिल जाती है︳ये विश्वास सही मार्गदर्शन करता है︳

सारान्श ये है कि जीवन से प्रेम करना सीखो︳ खुशियों के पल का इंतजार नहीं बल्कि हर एक पल में खुशियों की तलाश करो︳ भगवान पर विश्वास रखो, जीवन का अर्थ स्वयं ही समझ आ जाएगा और अवधारणाएं सही और उन्नति की दिशा में केंद्रित हो जाएगी︳

 किसी ने सच ही कहा है जब हम एक खुशी को लेकर बार बार खुश नहीं होते तो एक गम को लेकर, याद कर बार-बार रोते क्यों हैं︳

आकांक्षा श्रीवास्तव 
अभि. सहायक 
दूरदर्शन केंद्र भोपाल